चीन की तैयारी: भारत, अमेरिका और जापान की घेराबंदी के बीच युद्ध की रणनीति
साउथ चाइना सी में चीन की दादागिरी पर अंकुश लगाने के लिए भारत, अमेरिका और जापान एकजुट
चीन ने सेना के लिए आवश्यक वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगाकर युद्ध की तैयारी शुरू कर दी है, जबकि भारत, अमेरिका और जापान उसकी घेराबंदी की योजना बना रहे हैं।
भारत, अमेरिका और जापान मिलकर साउथ चाइना सी में चीन की दादागिरी पर अंकुश लगाने की योजना बना रहे हैं। इस बीच, चीन ने अपने रक्षा तैयारियों को तेज कर दिया है। हाल के रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने उन वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश दिया है, जो सेना और आम नागरिकों दोनों द्वारा उपयोग की जाती हैं। चीन के विशेषज्ञों का मानना है कि उसे चारों ओर से घेरने की कोशिशों के चलते युद्ध की आशंका है, इसलिए उसने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, शी जिनपिंग की सरकार ने न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल होने वाले सामान, मिसाइलों के पुर्जों, बायोटेक और केमिकल्स के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश दिया है। चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेस के लू जियांग ने कहा, “यह बिल्कुल सही समय पर लिया गया फैसला है। कई चीजें ऐसी हैं, जिनका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल होता है।”
चीन इस बात से भी डरा हुआ है कि जैसे लेबनान में वॉकी-टॉकी में ब्लास्ट हुए, वैसा कुछ उसके साथ भी हो सकता है। लू के अनुसार, चीन इसके खतरे का आकलन करने के लिए रिपोर्ट तैयार कर रहा है। दिसंबर 2020 में चीन ने एक कानून बनाया था, जिसके तहत इस तरह की चीजों पर निगरानी रखी जा रही है।
चीन ने ड्रोन, एयरोस्पेस इक्वीपेमेंट्स और कुछ मिरल्स जैसे गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। इसके अलावा, कुछ चिप बनाने में इस्तेमाल होने वाले रेयर एंटीमनी मेटल्स और ऑक्साइड के निर्यात पर सख्त पहरा रखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन को इस बात का एहसास है कि वह चारों ओर से घिरा हुआ है और उसे अपनी रक्षा खुद करनी होगी।
इकोनॉमिस्ट गार्सिया-हेरेरो का कहना है कि “चीन यह बात बहुत अच्छे से समझ रहा है कि हालात उसके अनुकूल नहीं हैं। उसे खुद को तैयार करने के साथ-साथ दुश्मन देशों की तैयारियों पर भी नजर रखनी होगी।” इस तरह, चीन के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, और उसकी सुरक्षा रणनीतियों में तेजी आ रही है।