मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार AAP विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की
हाईकोर्ट ने ईडी को 15 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी किया
41 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार AAP विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जमानत की याचिका दाखिल की है, जिस पर 15 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
पंजाब के जालंधर में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए गए आम आदमी पार्टी के विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी करते हुए 15 अक्तूबर तक जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
अमरगढ़ से आप विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा पर अपनी कंपनी तारा कॉर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से बैंक से 41 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। इस मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था। इससे पहले, उन्होंने मोहाली की जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी।
ईडी ने पिछले साल सितंबर में माजरा के घर पर छापेमारी की थी, जिसके दौरान उनके घर पर करीब 14 घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसके बाद माजरा को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन सहयोग न करने के कारण ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उनका मेडिकल जालंधर के सिविल अस्पताल में कराया गया था।
गज्जन माजरा तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने विधायक के रूप में सिर्फ एक रुपये का वेतन लेने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि पंजाब वित्तीय समस्याओं से जूझ रहा है, इसलिए वेतन के रूप में सिर्फ एक रुपया लेंगे। 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान को हराया था।
ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से माजरा पर 41 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड का मामला और गहराता चला गया। उन्होंने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि यह राजनीतिक षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल, हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर ईडी को नोटिस जारी कर 15 अक्तूबर तक अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं, जिससे माजरा की जमानत को लेकर आगे की कार्यवाही तय होगी।
इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं, और विपक्षी दलों ने इसे लेकर आम आदमी पार्टी और पंजाब सरकार पर सवाल उठाए हैं। माजरा के समर्थकों का कहना है कि यह सिर्फ एक साजिश है ताकि उन्हें चुनावी माहौल में कमजोर किया जा सके। अब देखना यह होगा कि 15 अक्तूबर को होने वाली सुनवाई में हाईकोर्ट क्या निर्णय लेता है और माजरा की जमानत को लेकर क्या फैसला आता है।